स्वागत हे नववर्ष … [नवगीत] – श्रीकान्त मिश्र ’कान्त’


उर उमंग की किरण संजोये
ऊषा से आशा ले आया
कोहरे की चादर में सिमटा
द्वारे यह नववर्ष
स्वागत हे नववर्ष

शीतल सूरज की आहट से
अम्बर पनघट नींद उनींदी
रजनी तम आलस तजती है
भोर किरण से हर्ष
स्वागत हे नववर्ष

काल चक्र पर कुछ हिचकोले
सहमे जीवन मन भी डोले
विगत विचार पुष्प बीने हैं
अभिनव से उत्कर्ष
स्वागत हे नववर्ष

आगत की आशा में भूले
उत्साहित मानव मन झूले
विगत विदा सर्वदा हुआ है
अद्भुत ये निष्कर्ष
स्वागत हे नववर्ष
©तृषा’कान्त’

आओ अलाव जलायें …. [नवगीत] – श्रीकान्त मिश्र ’कान्त’

नये वर्ष की नयी उमंगे
नवसंचार जगायें
बीनें दुर्गुण मानवता से
आओ अलाव जलायें

कोहरे की चादर से लिपटा
सूरज शीतल आया
पुरइन पात चमकते मोती
पाला भूतल छाया
धुनी कपास उठायें नभ से
जग ओढ़ाव बनायें
आओ अलाव जलायें

हिम शीतल बयार जब बहती
हिम खण्डों से गोले
धूप दुशाला ओढ़ निकलती
जब पड़ जाते ऒले
गांव गली गन्ना गुड़ महके
तिल रेवड़ी सब खायें
आओ अलाव जलायें

रीता बीता बरस गया सब
सबकी जेबें खाली
आतन्कित महंगाई करती
ज्यों डरपाये काली
ग्राम नगरवासी सब मिलकर
नया साल चमकायें
आओ अलाव जलायें
©तृषा’कान्त’

शुभकामनायें नव वर्ष की


जीवन की आप धापी में 
भूले विसरे गीत… बधाई
नित नूतन अभिनव गीतों के
बोल बनें अनमोल बधाई

शुभकामनायें नववर्ष की