उर उमंग की किरण संजोये
ऊषा से आशा ले आया
कोहरे की चादर में सिमटा
द्वारे यह नववर्ष
स्वागत हे नववर्ष
शीतल सूरज की आहट से
अम्बर पनघट नींद उनींदी
रजनी तम आलस तजती है
भोर किरण से हर्ष
स्वागत हे नववर्ष
काल चक्र पर कुछ हिचकोले
सहमे जीवन मन भी डोले
विगत विचार पुष्प बीने हैं
अभिनव से उत्कर्ष
स्वागत हे नववर्ष
आगत की आशा में भूले
उत्साहित मानव मन झूले
विगत विदा सर्वदा हुआ है
अद्भुत ये निष्कर्ष
स्वागत हे नववर्ष